इतिहास रुपरेखा संछिप्त विवरण


शाक्य मुनि करुणा के सागर महामानव गौतम बुध के विचारो से सिंचित हो रही बौद्ध सभा से उत्प्रेरित होकर प्रबंधक /सचिव श्री गिरिंद सिंह शाक्य नितांत पिछड़े हुए झेत्र में उच्च शिक्षा की प्रगति के लिए प्रेरित हुए | संघोष्ठी में देश विदेश के विद्वानो ने " शिक्षा एव समाज " पर गहन विचार विमर्श किया तथा निष्कर्ष रूप से यह पाया की " मानव विकास के सभी रास्ते शिक्षा रूपी कुंजी स खुलते है !" इसी क्रम में शाक्य जी के मन मस्तिष्क में एक उद्गार प्रष्फुटित हुआ कि " शिक्षा सभी प्रकार के विकासो का मूल मंत्र है. "

ऊपर लिखित प्रेरणा से प्रेरित होकर शाक्य जी ने पिछड़े क्षेत्र में उच्च शिक्षा की प्रगति व प्रसार के लिए दृढ संकल्प लिया ! इसी क्रम में उन्होंने १३ जनवरी 2009 को " माँ महारानी देवी कान्हीलाल शाक्य जनकल्याण आध्यात्मिक ट्रस्ट " पंजीकरण कराया | इसी परिक्षेप्य में १० अप्रैल 2009 को कम्बोडिया के बौद्ध बिछू सिन सवट सोतिये ने बौद्ध पद्द्ति के अनुसार भूमि पूजन कर महाविधिलया का निर्माण कार्य शुरू कराया | 2010 का कार्य पूर्ण होने के बाद १७ सितम्बर 2009 को विश्वविद्यालय द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र तत्पश्चात 31 दिसम्बर 2009 म उत्तर प्रदेश शासन द्वारा मान्यता मिली | मान्यता के इसी क्रम में 3 फरवरी २०१० को डॉ भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय , आगरा से महाविद्यालय को जुलाई 2009 - 2010 का पूर्ण सत्र मिला |

इसके पश्चात सन 2009 - 10 में महाविद्यालय में परीक्षा केंद्र के लिए शाक्य जी ने अथक प्रयास किया ! परिणामत ११ मार्च 2010 को परीक्षा केंद्र स्वीकृति पत्र कुलपति महोदय डॉ भीम राव अम्बेडकर विश्वविद्यालय , आगरा द्वारा मिला | 512 छात्र / छात्राओं से यहाँ परीक्षा केंद्र बना तथा 1 मई 2010 से महाविद्यालय में प्रथम परीक्षा की शुरुआत हुई

आज महाविद्यालय शिक्षा के झेत्र में विकास की और अग्रसर है | बर्तमान समय में बी० ए० , बी० एस ० सी० , बी० कॉम० , ऍम० ए० , एम० एस ० सी० , बी० एड० एव लॉ की क्लास विधिवत रूप से संचालित की जा रही है !